कलम...
- 36 Posts
- 1877 Comments
मैं मौत से क्यूँ डरु,
मै जो हर रोज हर लम्हा,
मरता हूँ तडपता हुआ हजारो जिंदगियां !
डरता हूँ मगर जिन्दगी से,
जो पैदा कर रही है हर पल इक नई मौत !
*********
मौत अपनी ही आज़ादी की,
मेरे पहचान की दर्दनाक मौत,
मौत मुंह के निवाले की बेमतलब,
खुद अपने हाथो से करनी पड़ी मन की मौत !
*******
मौत अभिव्यक्ति की मौत,
घुट घुट कर अस्तित्व की मौत,
खून ईमान का,
मेरे जमीर की मौत,
*******
यद्यपि फिर भी देखोगे तुम मुझे,
रोते बिलखते आंसू बहा बहा ,
गिड़गिड़ाकर मांगते हुए,
चंद सांसे मौत से जिन्दगी के लिए,
कुछ और नई मौते जिन्दगी से जीने के लिए !
******
तुम चाहे फब्तियां कसते रहो मुझ पर,
चाहे लाख झूठा बताओ मुझे,
मगर ये निर्मम सत्य है,
झूठ की तरह,
मुझे जिन्दगी से प्यार है,
मौत की खातिर !
*******
Read Comments